स्वामी विवेकानन्द
स्वामी विवेकानन्द जिस शिक्षा से हम अपना जीवन निर्माण कर सकें, मनुष्य बन सकें, चरित्र गठन कर सकें और विचारों […]
स्वामी विवेकानन्द जिस शिक्षा से हम अपना जीवन निर्माण कर सकें, मनुष्य बन सकें, चरित्र गठन कर सकें और विचारों […]
डॉ. मोहनजी भागवत (02 Oct 19) (Wed, 02 Oct 2019) ‘स्व’ के आधार पर भारत की पुनर्रचना का स्वप्न देखने
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सत्यस्य वचनं श्रेयः सत्यादपि हितं वदेत्।यद्भूतहितमत्यन्तं एतत् सत्यं मतं मम्।। यद्यपि सत्य वचन बोलना श्रेयस्कर है तथापि उस सत्य को
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सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात ब्रूयान्नब्रूयात् सत्यंप्रियम्।प्रियं च नानृतम् ब्रुयादेषः धर्मः सनातनः।। सत्य कहो किन्तु सभी को प्रिय लगने वाला सत्य
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क्षणशः कणशश्चैव विद्यां अर्थं च साधयेत्।क्षणे नष्टे कुतो विद्या कणे नष्टे कुतो धनम्॥ क्षण-क्षण का उपयोग सीखने के लिए और
यादृशै: सन्निविशते यादृशांश्चोपसेवते ।यादृगिच्छेच्च भवितुं तादृग्भवति पूरूष: ।। मनुष्य जिस प्रकार के लोगों के साथ रहता है , जिस प्रकार
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पदाहतं सदुत्थाय मूर्धानमधिरोहति ।स्वस्थादेवाबमानेपि देहिनस्वद्वरं रज: ।। जो पैरों से कुचलने पर भी उपर उठता है ऐसा मिट्टी का कण
सा भार्या या प्रियं बू्रते स पुत्रो यत्र निवृति: ।तन्मित्रं यत्र विश्वास: स देशो यत्र जीव्यते ।। जो मीठी वाणी
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विरला जानन्ति गुणान् विरला: कुर्वाfन्त निर्धने स्नेहम् ।विरला: परकार्यरता: परदु:खेनापि दु:खिता विरला: ।। दूसरों के गुण पहचाननेवाले थोडे ही है
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