स्वामी विवेकानन्द

स्वामी विवेकानन्द

लोग जीते – जी ही मुर्दे हो रहे हैं। हमारे देश के लिए इस समय आवश्यकता है, लोहे कि तरह ठोस मांस पेशियां और मजबूत स्नायु वाले शरीरों की. आवशयकता है इस तरह इच्छा – शक्ति सम्पन्न होने की, ताकि कोई भी उसका प्रतिरोध करने में समर्थ न हो.

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