मैत्री करूणा मुदितोपेक्षाणां।
सुख दु:ख पुण्यापुण्य विषयाणां।
भावनातश्चित्तप्रासादनम्।
– पातञ्जल योग १।
आनंदमयता, दूसरे का दु:ख देखकर मन में करूणा, दूसरे का पुण्य तथा अच्छे कर्म समाज सेवा आदि देखकर आनंद का भाव, तथा किसीने पाप कर्म किया तो मन में उपेक्षा का भाव ‘किया होगा छोडो’ आदि प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न होनी चाहिए।