परोपदेशे पांडित्यं सर्वेषां सुकरं नृणाम्
धर्मे स्वीयमनुष्ठानं कस्यचित् सुमहात्मन:
दूसरों को उपदेश देकर अपना पांडित्य दिखाना बहुत सरल है। परंतु केवल महान व्यक्ति ही उस तरह से (धर्मानुसार)अपना बर्ताव रख सकता है।
परोपदेशे पांडित्यं सर्वेषां सुकरं नृणाम्
धर्मे स्वीयमनुष्ठानं कस्यचित् सुमहात्मन:
दूसरों को उपदेश देकर अपना पांडित्य दिखाना बहुत सरल है। परंतु केवल महान व्यक्ति ही उस तरह से (धर्मानुसार)अपना बर्ताव रख सकता है।