नहि वेरेन वेरानि

नहि वेरेन वेरानि , सम्मंतीथ कुदाचन।
अवेरेन च सम्मन्ति , एस धम्मो सनन्तनो। ।

वैर से कभी वैर शांत नहीं होता और वैर स्नेह (प्रेम) से ही शांत होता है , यही सनातन धर्म है।

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