जितने कष्ट कंटको में है

जितने कष्ट कंटको में है जिसका जीवन सुमन खिला।
गौरव गंध उन्हें इतना ही , यत्र तत्र सर्वत्र मिला। ।

जिन्होंने जितनी अधिक विप्पत्तियों कष्टों में अपना जीवन यापन किया है। उन्हें उतना ही अधिक आदर सम्मान मिला है।

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