अमन्त्रम अक्षरं नास्ति

अमन्त्रम अक्षरं नास्ति , मूलमनौषधं।
अयोग्य पुरुषः नास्ति , योजकस्त्र दुर्लभः।।

ऐसा कोई अक्षर नहीं जिसका मंत्र न बन सके। ऐसी कोई जड़ी – बूटी नहीं जिसकी औषधि न बन सके , ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जिसे अयोग्य करार दिया जाए। केवल उचित योजक होना ही दुर्लभ है।

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